लखनऊः उत्तर प्रदेश के स्कूलों में ऑनलाइन हाजिरी को लेक बवाल मचा हुआ है। सरकार ने राज्य के सभी परिषदीय स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों और कर्मचारियों की डिजिटल उपस्थिति का आदेश दिया है। यह व्यवस्था सोमवार 8 जुलाई से लागू होने वाली थी लेकिन शिक्षकों ने इसका विरोध कर दिया है। वहीं, विरोध कर रहे शिक्षकों को समाजवादी पार्टी का साथ मिल गया है।
सोमवार को सभी जिलों में शिक्षकों ने काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया। इस आदेश को लेकर शिक्षकों में गुस्सा है। उनका कहना है कि गांव के कई स्कूलों में जाने के लिए रास्ते तक नहीं हैं। इसके साथ ही कई स्कूलों तक जाने के लिए साधन तक नहीं है। शिक्षक वैसे तो टाइम पर स्कूल पहुंच जाते हैं, लेकिन कभी क्रॉसिंग बंद, जाम, रूट डायवर्सन, कावड़ियों की भीड़, बारिश, आंधी इन सब वजहों से जब हम कभी लेट होते हैं तो इसमें हमारा क्या दोष है?
शिक्षकों के विरोध को समाजवादी पार्टी का मिला समर्थन
शिक्षकों के विरोध को समाजवादी पार्टी का समर्थन मिल गया है। सपा सांसद राजीव राय ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कहा कि आप पता करिएगा, जितने में यह सॉफ्टवेयर और ऐप खरीदे गए हैं। उतने पैसे में सभी स्कूलों में फर्नीचर, कंप्यूटर लैब औरर अंगरेजी सहित अन्य एक्सपर्ट शिक्षक रखे जा सकते थे। और उन्हेंं प्राइवेट स्कूलों से भी बेहतर शिक्षा दी जा सकती थी।
शिक्षकों के विरोध को देखते हुए उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग ने सोशल मीडिया के जरिए जानकारी दी कि स्कूल टीचर अब तय समय के 30 मिनट बाद तक अटेंडेंस लगा सकते हैं। हालांकि, उन्हें देरी से पहुंचने का कारण बताना होगा।
शिक्षकों के विरोध पर शिक्षा विभाग ने क्या कहा?
बेसिक शिक्षा विभाग ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “हम आपकी समस्याओं से वाकिफ हैं, आप 30 मिनट बाद अपनी अटेंडेंस लगा सकते हैं। परिषदीय स्कूलों के डिजिटल सिग्नेचर के लिए आदेश दिए गए हैं। लेकिन अब तय समय के 30 मिनट बाद भी अटेंडेंस लगाने का मौका है। बेसिक शिक्षा अधिकारियों और खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। हां, स्कूल में देरी से पहुंचने का कारण बताना जरूर जरूरी है।”
हां, इतना जरूर है कि देर से स्कूल पहुँचने का कारण मेंशन करना होगा। https://t.co/uyK2N4NG0v
— Department Of Basic Education Uttar Pradesh (@basicshiksha_up) July 7, 2024
कई स्कूल टीचरों ने बारिश के पानी से भरी सड़कों की तस्वीरें शेयर कीं और पूछा कि वे समय पर स्कूल कैसे पहुंच पाएंगे और अपनी अटेंडेंस कैसे लगा पाएंगे।
शिक्षकों ने ऑनलाइन हाजिरी के विरोध में क्या कहा?
सरकारी आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए एक सहायक शिक्षक ने डीजी से सड़कें खुलवाने की मांग की। उन्होंने एक पोस्ट में लिखा, “कमरा डूबा हुआ है, वॉशरूम डूबा हुआ है, किचन डूबा हुआ है, नेट सिग्नल डाउन है, फिर भी डिजिटल अटेंडेंस टीचर को रोबोट बनाने की कगार पर है। ऐसे बंद रास्ते पर हम कैसे डिजिटल होंगे, डीजी मैडम पहले रास्ता खुलवाओ। रियल टाइम अटेंडेंस में जोखिम है।”
पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष और दो बार विधायक रह चुके अजय कुमार लल्लू ने योगी सरकार पर ‘बेतुके नियम’ लागू करने और प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों पर बोझ डालने का आरोप लगाया। उन्होंने एक पोस्ट में पूछा, “सरकार बताए कि प्रदेश भर के जो स्कूल पानी में डूबे हुए हैं, जहां सड़क नहीं है, जहां स्कूल जीर्ण-शीर्ण है, वहां कोई शिक्षक अपनी ‘ऑनलाइन उपस्थिति’ कैसे देगा? और तथाकथित ‘ऑनलाइन उपस्थिति’ से क्या बदलेगा?”
बताते चलें कि आदेश के खिलाफ शिक्षक संघ और शिक्षकों ने सोशल मीडिया पर बॉयकॉट ऑनलाइन उपस्थिति को ट्रेंड करवाया था। डीजी स्कूल शिक्षा ने यह आदेश सभी बीएसए को भेजा है और सोमवार से इसे लागू करने का आदेश दिया था। पहले इसके लिए 15 जुलाई की तिथि निर्धारित की गई थी।
डीजी स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने बेसिक शिक्षा अधिकारी को भेजे पत्र में कहा गया है कि बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन संचालित सभी प्राथमिक, उच्च प्राथमिक एवं केजीबी विद्यालयों में ग्रीष्मावकाश के बाद 25 जून से छात्र उपस्थिति पंजिका एवं एमडीएम पंजिकाएं डिजिटल रूप में तैयार किए जाने के निर्देश दिए गए थे।
यह भी कहा गया था कि अन्य सभी पंजिकाएं 15 जुलाई से डिजिटल रूप में अपडेट की जाएंगी। डीजी स्कूल, शिक्षा ने कहा है कि परिषदीय स्कूलों में कार्यरत सभी अध्यापक व कर्मचारी अब प्रतिदिन अपनी उपस्थिति, स्कूल में आगमन व प्रस्थान का समय अब आठ जुलाई से ही डिजिटल उपस्थिति पंजिका में दर्ज करेंगे।
–आईएएनएस इनपुट के साथ