नई दिल्ली: पंजाब रेजिमेंट की 26वीं बटालियन के आर्मी मेडिकल कोर के कैप्टन अंशुमन सिंह को उनके साहस के लिए कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है। उनकी पोस्टिंग सियाचिन में हुई थी और एक आग की दुर्घटना के दौरान वे अपनी जान गवां दिए थे।
शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा कैप्टन अंशुमन सिंह की विधवा स्मृति सिंह और उनकी मां मंजू सिंह को भारत के दूसरे सबसे बड़े वीरता पुरस्कार को सौंपा गया है। स्मृति सिंह एक इंजीनियर हैं और वे पठानकोट की रहने वाली हैं। वे नोएडा में एक मल्टी नेशनल कंपनी में काम करती हैं।
कैप्टन अंशुमन के परिवार में माता पिता एक बहन और एक भाई हैं जो लखनऊ में रहते हैं। इस मौके पर स्मृति सिंह ने अपने पति को याद किया और कहा कि कैप्टन अंशुमन ने कहा था कि वे सामान्य मौत नहीं मरेंगे बल्कि वे अपने सीने पर पदक रखकर मरेंगे। कैप्टन अंशुमन का यूपी के देवरिया में अंतिम संस्कार हुआ है।
कैप्टन अंशुमन ने कैसे दिया था बलिदान
पिछले साल जुलाई में कैप्टन अंशुमन की सियाचिन क्षेत्र के चंदन ड्रॉपिंग जोन में तैनाती हुई थी। 19 जुलाई 2023 की रात को कैंप के बारूद के ढेर में आग लग गई थी। आग लगने पर उन्हें पता चला कि फाइबरग्लास झोपड़ी में कुछ लोग फंसे हुए हैं और वे उनकी मदद करने के लिए झोपड़ी में कूद गए थे।
कैप्टन अंशुमन ने अपनी साहस से चार से पांच लोगों को बचा लिया था और फिर उसी समय उन्हें पता चला कि आग की लपटें पास वाले मेडिकल कैंप तक भी पहुंच गई हैं। इसके बाद कैप्टन अंशुमन मेडिकल कैंप में भी गए थे और फिर उससे वापस आने की कोशिश की लेकिन वे बच नहीं पाएं और अपनी जान गवां दी थी।
स्मृति और कैप्टन अंशुमन की कहानी
कैप्टन अंशुमन और उनकी पत्नी स्मृति की मुलाकात कॉलेज के पहले दिन में ही हुआ था। स्मृति बताती हैं कि वे पहले ही दिन से एक दूसरे के प्यार में पड़ गए थे। इसके एक महीने बाद कैप्टन अंशुमन का सशस्त्र बल मेडिकल कॉलेज (एएफएमसी) में चयन हो गया था।
इस कारण दोनों में करीब आठ साल की दूरी हो गई थी। स्मृति ने कहा कि काफी लंबे समय से दूरी के बाद अंत में उन लोगों ने शादी कर ली थी और इसके दो महीने ही बाद कैप्टन अंशुमन की पोस्टिंग सियाचिन में हो गई थी।
पत्नी स्मृति बताती है कि पिछले साल 18 जुलाई को उन दोनों ने अपने भविष्य को लेकर चर्चा किया था और उसके दूसरे ही दिन स्मृति को एक दुखद खबर मिलती है। स्मृति ने बताया कि वे पहले इस बात को मानने के लिए तैयार ही नहीं थी कि ऐसा भी कुछ हुआ है।
स्मृति बताती हैं कि कैप्टन अंशुमन बहुत ही बुद्धिमान थे और वे आर्मी और दूसरे के परिवारों को बचाने के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया है।
Cpt #AnshumanSingh was awarded #KirtiChakra (posthumous). It was an emotional moment for his wife & Veer Nari Smt Smriti who accepted the award from #President Smt #DroupadiMurmu. Smt Smriti shares the story of her husband’s commitment & dedication towards the nation. Listen in! pic.twitter.com/SNZTwSDZ1Z
— A. Bharat Bhushan Babu (@SpokespersonMoD) July 6, 2024
राष्ट्रपति मुर्मू द्वारा दिए गए 10 कीर्ति चक्र और 26 शौर्य चक्र
बता दें कि अदम्य साहस व वीरता का परिचय देने वाले सैन्य बलों, अर्धसैनिक बलों व पुलिस कर्मियों को शुक्रवार शाम कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पांच जुलाई 2024 को राष्ट्रपति भवन में रक्षा अलंकरण समारोह (चरण-1) के दौरान 10 कीर्ति चक्र (सात मरणोपरांत) और 26 शौर्य चक्र (सात मरणोपरांत) प्रदान किए।
इस अवसर पर पीएम नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मौजूद रहे।
ये पुरस्कार सशस्त्र बलों, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेश के पुलिसकर्मियों को विशिष्ट वीरता, अदम्य साहस और कर्तव्य के प्रति असाधारण प्रदर्शन के लिए प्रदान किए गए।
सीआरपीएफ 210 कोबरा के इंस्पेक्टर दिलीप कुमार, हेड कॉन्स्टेबल राजकुमार यादव, कांस्टेबल बबलू रभा व कांस्टेबल शंभू रॉय को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया। भारतीय सेना की ग्रेनेडियर 55 बटालियन, राष्ट्रीय राइफल्स के सिपाही पवन कुमार को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया।
समाचार एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ