नई दिल्ली: ‘सिंधु दर्शन पूजा’ और महोत्सव सिंधु नदी की पूजा के लिए आयोजित की जाती है। पिछले कुछ वर्षों में इसकी महत्ता काफी बढ़ी है। लेह में आयोजित होने वाले इस सिंधु दर्शन महोत्सव के लिए देश भर से लोग पूजा में शामिल होने आते हैं। लेह-लद्दाख में सिंधु दर्शन महोत्सव को यहां की सभ्यता का प्रतीक भी माना जाता है।
क्या है सिंधु दर्शन पूजा और महोत्सव
सिंधु दर्शन पूजा या सिंधू दर्शन महोत्सव की शुरुआत 1997 से इस मकसद से की गई था कि यहां के पर्यावरण के साथ संस्कृति और परंपरा को संजोकर रखा जाए। सिधु दर्शन महोत्वस का आयोजन लेह से लगभग 8 किलोमीटर दूर शेय मनला में किया जाता है। यह प्रमुख रूप से तीन दिवसीय आयोजन है। इसकी शुरुआत हर साल गुरु पूर्णिमा के दिन से होती है। ‘सिंधु दर्शन पूजा’ हजारों वर्षों से किया जाने वाला यह प्राचीन अनुष्ठान सिंधु सभ्यता के सभ्यतागत इतिहास में बहुत महत्व रखता है। आज हर कोई लेह में ‘सिंधु दर्शन पूजा’ कर सकता है।
सिंधु दर्शन पूजा की परंपरा प्राचीन…फिर भी लग गया था ब्रेक
भारत ने आजादी के साथ-साथ बंटवारे का दंश भी झेला। बंटवारे के बाद यह व्यापक रूप से माना गया कि पूरी सिंधु नदी पाकिस्तान का हिस्सा बन गई। हालांकि, 1996 में लेह जिले से बहने वाली नदी के कुछ हिस्सों की पुनः खोज के कारण 1997 में ‘सिंधु दर्शन यात्रा’ का शुभारंभ हुआ। सिंधु दर्शन पूजा के दौरान पूरे भारत से श्रद्धालु अपने राज्य की नदी से मिट्टी के बर्तन में पानी लाते हैं और इसे सिंधु नदी में डालते हैं।
सिंधु दर्शन महोत्सव के पहले दिन विभिन्न धर्मों के लोगों के लिए एक स्वागत समारोह आयोजित किया जाता है। सिंधु नदी के तट पर 50 लामाओं/भिक्षुओं की ओर से प्रार्थना की जाती है। कई सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। दूसरे और तीसरे दिन भी सांस्कृतिक कार्यक्रम, दर्शनीय स्थलों की यात्रा और पूजा का आयोजन होता है।
सिंधु दर्शन पूजा का हिस्सा बनते रहे हैं पीएम नरेंद्र मोदी
करीब चार साल पहले 3 जुलाई 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक लद्दाख जाकर सभी को चौंका दिया था। यहां उन्होंने भारतीय सैनिकों से मुलाकात की। अपनी यात्रा के दौरान, उन्होंने निमू में नदी तट पर पारंपरिक ‘सिंधु दर्शन पूजा’ भी की थी। इसके बाद से सिंधु दर्शन पूजा को लेकर आम लोगों में भी जिज्ञासा और रूचि बढ़ी है।
On July 3, 2020, Prime Minister @narendramodi surprised everyone by suddenly visiting Ladakh, where he met with Indian soldiers. During his visit, he also performed the traditional ‘Sindhu Darshan Pooja’ on the riverbank at Nimu. This ancient ritual, which has been performed for… pic.twitter.com/27A39g61FV
— Modi Archive (@modiarchive) July 3, 2024
पीएम मोदी का 2020 का दौरा तब इसलिए भी खास था क्योंकि गलवान की झड़प की घटना को कुछ ही दिन हुए थे। पीएम मोदी ने इस दौरे में सेना के जवानों से भी मुलाकात की। उन्होंने उन 20 बहादुरों को श्रद्धांजलि अर्पित की जिन्होंने गलवान में चीनी सैनिकों से लड़ते हुए अपनी जान न्योछावर कर दी थी।
सिंधु दर्शन महोत्सव: 1997 में भी पहुंचे थे मोदी
1997 में हुए ऐतिहासिक सिंधु दर्शन महोत्सव कार्यक्रम में देश भर से कई प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया था। उस समय भी नरेंद्र मोदी कार्यक्रम में शामिल हुए थे। उन्होंने लाल कृष्ण आडवाणी, जॉर्ज फर्नांडीस, साहिब सिंह वर्मा, फारूक अब्दुल्ला और अन्य राजनीतिक गणमान्य व्यक्तियों के साथ इसमें हिस्सा लिया था।
इस पहली यात्रा के दौरान नरेंद्र मोदी तब पंडित जसराज से भी मिले थे और दोनों ने मिलकर नदी तट पर भक्ति गीत गाए थे। 1997 में इसकी शुरुआत के बाद से पीएम नरेंद्र मोदी कई बार सिंधु दर्शन पूजा में भाग ले चुके हैं। साल 2000 में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में कार्य करते हुए भी वह इस महोत्सव में शामिल हुए थे। उस साल प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सिंधु नदी के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व का जश्न मनाने वाले वार्षिक उत्सव का उद्घाटन किया था।
(समाचार एजेंसी IANS के इनपुट के साथ)