नई दिल्लीः भगोड़े कारोबारी विजय माल्या अब केंद्रीय जांच ब्यूरो की रडार पर आ चुके हैं। सीबीआई की विशेष अदालत ने इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) से जुड़े 180 करोड़ रुपये के लोन डिफॉल्ट मामले में उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है। विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश एसपी नाइक निंबालकर ने 29 जून को माल्या के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था और सोमवार को विस्तृत आदेश उपलब्ध कराया गया।
सीबीआई ने विजय माल्या के खिलाफ वारंट में क्या कहा?
सीबीआई ने अपने वारंट में कहा कि अब बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस के प्रमोटर ने जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने के कारण सरकारी भारतीय ओवरसीज बैंक को ₹180 करोड़ का नुकसान पहुंचाया।
माल्या वर्तमान में लंदन में रह रहे हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया गया है। भारतीय सरकार वर्तमान में उनकी प्रत्यर्पण की कोशिश कर रही है।
सीबीआई की प्रस्तुति को ध्यान में रखते हुए और उनके भगोड़ा होने की स्थिति को देखते हुए अदालत ने कहा कि यह उनके खिलाफ खुला गैर-जमानती वारंट जारी करने का उपयुक्त मामला है ताकि उनकी उपस्थिति सुनिश्चित की जा सके।
कब का है मामला?
सीबीआई कोर्ट द्वारा जारी वारंट एक धोखाधड़ी मामले से जुड़ा है, जो केंद्रीय एजेंसी द्वारा 2007 से 2012 के बीच किंगफिशर एयरलाइंस द्वारा लिए गए ऋण के संबंध में दर्ज किया गया था। आरोपपत्र में कहा गया है कि यह ऋण एक समझौते के आधार पर निजी एयरलाइन को दिया गया था।
चार्जशीट में कहा गया है कि माल्या ने बेईमानी की और धोखा देने की नीयत से जानबूझकर कर्ज की अदायगी नहीं की, जिससे ₹141.91 करोड़ का नुकसान हुआ। इसके अलावा, कर्ज को शेयरों में बदलने से ₹38.30 करोड़ का अतिरिक्त नुकसान हुआ।
सीबीआई की याचिका में कहा गया है कि विजय माल्या “एक भगोड़े और फरार व्यक्ति” हैं जो इंग्लैंड में रह रहे हैं और भारत में कानून की प्रक्रिया को बाधित कर रहे हैं। सीबीआई की प्रस्तुति को ध्यान में रखते हुए, अदालत ने कहा कि माल्या फरार हैं, उन्हें भगोड़ा घोषित किया गया है और उनके खिलाफ अन्य मामलों में गैर-जमानती वारंट लंबित हैं। इसलिए, उन्हें समन जारी करने का कोई उद्देश्य नहीं होगा।