नई दिल्ली: भारत में वित्तीय वर्ष 2023-24 में लगभग 4.7 करोड़ नौकरियां बढ़ी हैं। भारतीय रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। यह कई अन्य एजेंसियों के अनुमानों से अधिक है। उद्योग की उत्पादकता और रोजगार को मापने वाली इस रिपोर्ट के अनुसार 2023-24 में रोजगार वृद्धि दर 6% अनुमानित थी। यह 2022-23 में दर्ज 3.2 प्रतिशत से अधिक है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार यह पहली बार है कि आरबीआई ने उपलब्ध आंकड़ों का उपयोग करते हुए वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए उत्पादकता का एक अनुमान लगाने की कोशिश की है।
आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में प्रोविजनल संख्या जारी की है। इसका लक्ष्य 27 उद्योंगों जो छह बड़े सेक्टर से आते हैं, उनकी उत्पाकदका मापना था। इन सेक्टरों में कृषि, फॉरेस्ट्री और मछली पकड़ने, खनन और उत्खनन, विनिर्माण, बिजली, गैस और जल आपूर्ति, निर्माण और सेवाएं शामिल हैं। आरबीआई के इस डेटाबेस को एनएसओ, NSSO, एएसआई और अन्य स्रोतों से संकलित आंकड़ों का उपयोग करके तैयार किया गया है।
आरबीआई के आंकड़े और रोजगार पर बहस
केंद्रीय बैंक के ताजा आंकड़ों से देश में रोजगार को लेकर फिर बहस छिड़ सकती है। हाल में खत्म हुए लोकसभा चुनाव में विपक्ष ने बेरोजगारी को एक बड़ा मुद्दा बनाकर पेश करने की कोशिश की थी। कई और आंकड़ों ने देश में बेरोजगारी बढ़ने के संकेत दिए थे। हालांकि, अब आरबीआई का आंकलन एकदम उलट तस्वीर पेश कर रहा है।
आरबीआई के ताजा आंकड़े पिछले सप्ताह नौकरियों जारी सिटीग्रुप इंडिया की रिपोर्ट के बाद आए हैं। उस रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत को 7% के आर्थिक विकास के साथ भी अपने बढ़ते कार्यबल के लिए पर्याप्त नौकरियां पैदा करने के लिए संघर्ष करना होगा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि भारत को अगले दशक में प्रति वर्ष 1.2 करोड़ नौकरियां पैदा करने की आवश्यकता होगी, लेकिन विकास दर की बदौलत केवल 80-90 लाख नौकरियां सृजित होंगी।
श्रम मंत्रालय सिटीग्रुप की रिपोर्ट का कर चुका है खंडन
श्रम मंत्रालय ने सिटीग्रुप इंडिया रिपोर्ट का सोमवार को खंडन जारी किया था। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि लोबर फोर्स सर्वे (PLFs) और आरबीआई के KLEMS डेटा के अनुसार भारत ने 2017-18 से 2021-22 तक आठ करोड़ से अधिक नौकरियां पैदा की हैं।
बयान में कहा गया, ‘यह प्रति वर्ष औसतन दो करोड़ से अधिक रोजगार है। ऐसा इस तथ्य के बावजूद हुआ है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था 2020-21 के दौरान कोविड -19 महामारी से प्रभावित हुई थी। यह आंकड़ा पर्याप्त रोजगार पैदा करने में भारत की असमर्थता के सिटीग्रुप के दावे का खंडन करता है। यह रोजगार सृजन विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभिन्न सरकारी पहलों का प्रभाव दर्शाता है।’
बयान में PLFs डेटा का हवाला देते हुए कहा गया है कि बेरोजगारी दर 2017-18 में 6.0% से घटकर 2022-23 में 3.2% के निचले स्तर पर आ गई है। बयान में कहा गया, ‘पीएलएफएस डेटा से पता चलता है कि पिछले पांच वर्षों के दौरान श्रम बल में शामिल हो रहे लोगों की संख्या की तुलना में अधिक रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं। इसके परिणामस्वरूप बेरोजगारी दर में लगातार कमी आई है।’
श्रम मंत्रालय के इस बयान में आगे कहा गया, ‘यह रोजगार पर सरकारी नीतियों के सकारात्मक प्रभाव का एक स्पष्ट संकेत है। इस रिपोर्ट (सिटीग्रुप) के उलट जो रोजगार को लेकर खतरनाक परिदृश्य पेश कर रहा है, आधिकारिक डेटा भारतीय नौकरी बाजार की अधिक आशावादी तस्वीर दिखा रहा है।’